Saturday 2 March 2013

कुछ शब्द मित्रों से


मित्रों बहुत से पाठकों ने मुझसे यह प्रश्न किया  कि क्या आप डाक्टर है ?

मै यहाँ स्पष्ट करना चाहूंगी कि मै कोई डाक्टर नहीं हूँ । हाँ आयुर्वेद की पढ़ाई कर रही हूँ । और अपने अनुभव आपसे शेयर करती हूँ । प्राथमिक उपचार के विषय मे कैसे सीखा ये मै आप सब को पहले ही लिख चुकी हूँ । बाकी नुस्खे जो मैंने स्वयम अपनी दादी नानी से से सीखे व सुन रखे है जो कि अनुभूत भी है जिनसे किसी को कोई नुकसान नहीं होगा हाँ लाभ अवश्य होगा । बशर्ते कि मात्रा का ध्यान जरूर रखें ।

हमारे नाना जी स्व. श्री श्याम सुंदर पाण्डेय जी  आयुर्वेदाचार्य थे उनके हाथ की लिखी पुस्तको मे से केवल एक ही छप सकी दूसरी पुस्तक पूरी भी न हो पायी कि उनका देहांत हो गया था । मेरी माँ ने उनकी हस्त लिखित लिपि को संभाल रखा हुआ था । माता जी के देहांत के बाद मैंने ये निश्चय किया कि इस पुस्तक के जितने भी अंश बचे है मै अपने ब्लॉग मे लिखूँगी । और उनको ही आपसे  शेयर करती हूँ । आप पढे और स्वयम निर्णय लें आप हमारी बाते मानने के लिए बाध्य नही है । हाँ मै लिखने के लिए  स्वतंत्र  जरूर हूँ ।

1 comment:

  1. आप सौभाग्यशाली हैं जो आपको अपने आयुर्वेदाचार्य नानाजी के अनुभवों को पुस्तक रुप में हासिल कर पा रही हैं। मेरे पिताजी काफी बड़े व सिद्धहस्त आयुर्वेदाचार्य थे। काशी नरेश की तरफ से उन्हें वैद्यशिरोमणि की उपाधि भी मिली थी। मैंने उनसे भी अपने अनुभवों को लिखने को कहा था मगर वे ऐसा कर पाने से पहले ही हमारा साथ छोड़ गए। उम्मीद करता हूं कि आप अपने नानाजी के अनुभवों को विधिवत संभाल पाएंगी।

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